🌷!! भावपूर्ण श्रद्धांजली !! 🌷

(1922 -2021)

अभिनय के आसमान में दिलीप कुमार ध्रुव तारे के समान हैं संसार में ऐसे अभिनेता कम हुए हैं जिन्होनें जीवन पर्यंत “एक वक्त पर एक फिल्म” के उसूल पर चलने का साहस किया हो, लेकिन कम काम के बावजूद, दुनिया में फिल्म-अभिनय के व्याकरण के जो दो-चार बड़े रचयिता हुए हैं, उनमें उनका अदद मुकाम है जीवंत अभिनय के कारण, दिलीप कुमार को अभिनय का बेताज बादशाह माना जाता है और उनकी अद्वितीय उपलब्धियां हासिल करना बेशक दुर्लभ हो मगर ये निर्विवाद है कि उनकी आभा, सदैव फिल्म-कला का मार्ग प्रशस्त करेगी

अपार प्रसिद्धि के बावजूद, दिलीप कुमार इश्तेहारी व्यवहार और बड़बोलेपन की जीवन शैली से कोसों दूर रहे इसी कारण, लोग उनकी फ़िल्मी उपलब्धियों और किरदारों से तो खूब परिचित रहे, पर दिलीप कुमार के व्यक्तित्व और घरेलू जीवन से सर्वथा अनभिज्ञ रहे हैं मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे न केवल उनसे मिलने के कई मौके मिले बल्कि उनकी आत्मकथा “द शैडो एंड द सबस्टेंस” के विडिओ कथानक बनाने के दौरान, उनकी पत्नी सायरा बानो ने मुझे उनके अनूठे व्यक्तित्व से अवगत कराया मेरे ह्रदय पर उनकी इंसानीयत अंकित है जिसने मुझे बताया कि अद्भुत हो कर भी वो कितने संवेदनशील और ज़मीन से जुड़े इंसान थे

दिलीप साहब बहुत कम बोलते थे पर जब बोलते तो लगता मानों फूल बरस रहे हों क्यूंकी उनके लफ़्ज़ों का चुनाव, उनकी आवाज़ में गुंथे हुए भाव, कशिश पैदा करते थे तिस पर उनकी आँखों में एक ऐसी नमीं और गहराई थी कि श्रोता अपने आप उनकी गिरफ्त में कैद हो जाता था मैंने उनसे ज़्यादा मंत्रमुग्ध करने वाला वक्ता आज तक नहीं देखा जब कि मैंने इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, नीरज और अमिताभ बच्चन जैसी शख्सीयतों को गज भर की दूरी से सुना है हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू, पंजाबी, फारसी, बांगला, मराठी और तमिल जैसी भाषाओं में उनको महारत हासिल थी और उनकी सहज क्षमता के बारे में जब उनसे एक बार मैंने सरिस्का में पूछा तो वो हंस कर बोले, “जनाब इसके पीछे सालों की वो मेहनत छुपी हुई है जिसका लोगों को पता नहीं है

शब्द के पीछे अनलिखे चरित्र को उभारने की कोशिश में वो अपने से कई सवाल करते थे और यही वजह है की “देवदास”, “गंगा-जमुना”, “आदमी”, “मुग़ले-आज़म” और “राम और श्याम” जैसे कई किरदारों को उन्होने यादगार बना दिया “आदमी” फिल्म में उनका व्हील-चेयर पे बैठे हुए कहानी सुनाने का दृश्य आज भी सिने-प्रेमियों के रौंगटे खड़े कर देता है, पर बिरले जानते है कि अद्भुत सृजन की लगन के कारण उन्होनें निशक्त रोगियों का कितना गहन अध्ययन किया था और कैसे “कोहिनूर” के प्रसिद्ध गीत “मधुबन में राधिका नाची रे” के लिये सितार बजाने की शिक्षा ली थी वैसे वो ट्रम्पेट और पियानो भी बखूबी बजाना जानते थे

साहित्य के शौक़ीन दिलीप साहब से “अन्ताक्षरी” में जीतना नामुमकिन था क्यूंकि उन्हें सैंकड़ों गीत और ग़ज़ल याद थे वो अगर शेक्सपीयर के नाटकों के संवाद सुना सकते थे तो ग़ज़ल और भजन भी गा सकते थे रफ़ी साहब की आवाज़ को परदे पर अपना चेहरा देने वाले दिलीप साहब, खुद भी बहुत अच्छा गाते थे मैंने उनको हारमोनियम बजाते, प्रसिद्ध भजन “सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई” को कल्याणजी-आनंदजी और जावेद अख्तर को सुनाते देखा है एक ज़माने में वो हर सुबह, नौशाद और रफ़ी साहब के साथ बैडमिंटन खेलते थे लेकिन भूतपूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान पटौदी के मुताबिक “दिलीप साहब अगर चाहते तो क्रिकेट में भी नाम कमा सकते थे क्यूंकि वो आला दर्जे के बल्लेबाज़ थे

दिलीप कुमार की काबलियत कभी सरकारी तमगों या सिफारिशों की मोहताज नहीं रही अपने व्यक्तित्व को इश्तेहार ना बनने देने के लिये, उन्होनें सैंकड़ों विज्ञापनों के प्रस्ताव ठुकरा दिये “जीवन बीमा निगम” के विज्ञापन के लिये उन्होनें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के प्रस्ताव को भी अस्वीकार कर दिया था जब कि वो दोनों एक दूसरे के अभिन्न मित्र और प्रशंसक थे पर दूसरी तरफ, नेत्रहीनों की सेवा के लिए उन्होनें सालों तक, कई बार, सार्वजनिक मंचों पे जा कर चन्दा इकठ्ठा करने का निस्स्वार्थ कार्य किया

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दीपक महान
(वृतचित्र निर्देशक व् विश्लेषक)

दिलीप कुमार की बहुमुखी प्रतिभा का आधार उनकी सजग मानवीयता और करुणा ही थी इसीलिये उन्होनें जो किरदार किये, उन्हें कोई और नामचीन कलाकार उतनी सहजता और आसानी के साथ अदा नहीं कर पाता जितनी आसानी से उन्होनें किया था वो उन गिने-चुने कलाकार में थे जिन्हें मानव समाज की ज़रूरतों और कर्तव्यों की समझ थी और जो अंतर्मन के द्वंदों के प्रति ईमानदार थे यही वजह है जो दिलीप कुमार को दूसरे कलाकारों से अलग कर के एक विशिष्ट गरिमा देती है अफ़सोस, संवाद की दुनिया का ऐसा अनूठा और दिलेर व्यक्ति कई साल से अपनी याददाश्त से वंचित रहा हालाँकि उन्हें बड़े लाड-प्यार के साथ सायरा बानों ने संभाला लेकिन ये तय है की विश्व के फिल्म इतिहास में दिलीप कुमार का नाम हमेशा बहुत आदर और श्रद्धा से लिया जाएगा

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